Monday, August 23, 2010

एक स्वंयवर ऐषा भी

बचपन की कहानियों में पढ़ा था की पहले राजा लोग अपनी बेटी की शादी स्वंयवर द्वारा करते थे.इसमें राजकुमारी माला लेकर आती थी और जिसे पसंद करती थी उसके गले में माला डालदेती थी.समय बदला फिर सुना लोग टीवी पर स्वंयवर करने लगे.राखी सावंत और राहुल महाजन तो याद हैं न सबको। आब आज एक नयी चीज सुनी.गुजरात में पाटन सहर में एक संस्था ने स्वंयवर कराया ...... अब सवाल ये उठता है की तो इसमें नया क्या है?
हाँ जी तो जवाब है की इस स्वंयवर में सब कुछ अलग था.दुल्हन भानुमती व्यास थी ५५ साल की विधवा और दो बार शादी सुदा. दोसाल पहले अपने दुसरे पति के स्वर्गवास के बाद ओल्ड होम में रह रही थी.दिन था रविवार २२ अगस्त .सुबह से ही स्वंयवर में भाग लेने वालो की भीड़ लग रही थी.गुजरात के बहुत सारे जगहों से लोग आये थे इस स्वयंवर में भाग लेने के लिए.कोई उन्हें फूल दे रहा था या कोई उनसे बड़े बड़े वादे कर रहा था.शाम होने तक उस समय रोमांच काफी बढ़ गया , जब सारे प्रतिद्वंदियों में से तीन लोग चुनकर आये.आब भानु जी को माला लेकर जाना था और किसी एक के गले में डालना था.पर मुस्किल यहीं शुरु हुई क्योंकि तीन बार माला लेकर जाने के बाद भी भानु जी निर्णय नहीं ले पायीं की किसे वोह अपना जीवन साथी चुने .फिर उनकी मदद के लिए जनता जनार्दन से विनती की गयी।जनता ने रावल जी का साथ दिया और इस तरह से ये विवाह संपूर्ण हुआ। है न अलग सा स्वयंवर ।
इसलिये कहते हैं "यह तो पब्लिक है, ये सब जानती है "
जय हो जनता जनार्दन की.

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